जंतुओं में पोषण Nutrition in Animal

जंतुओं में पोषण Nutrition in Animal 

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख जंतुओं में पोषण (Nutrition in Animal) में। दोस्तों यहाँ पर आप जंतुओ में पोषण किसे कहते है? जंतुओं में पोषण कैसे होता है?

पोषण क्या है? पोषण की विधियाँ आदि के बारे में जानेंगे। तो आइये शुरू करते है, यह लेख जंतुओं में पोषण (Nutrition in Animal):-

जंतुओं में पोषण

पोषण किसे कहते हैं What is Nutrition 

जंतुओ में पोषण एक जैव रासायनिक क्रिया है, जो सभी प्रकार के जंतुओ में होती है, पोषण वह जैव रासायनिक प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत प्राणी अपने बाह्य वातावरण से भोज्य पदार्थों को इकट्ठा करते हैं, उनको ग्रहण करते हैं और उसके पश्चात उनसे जो ऊर्जा मुक्त होती है उनसे अपने दैनिक कार्य करते हैं और अपने शरीर की वृद्धि और विकास करते हैं, उस स्थिति को पोषण (Nutrition) कहा जाता है।

साधारण शब्दों में हम कह सकते हैं, कि जीव को वृद्धि विकास तथा सभी प्रकार के जैव प्रक्रम को करने के लिए सुचारू रूप से चलाने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है और यह ऊर्जा पोषक पदार्थों के अधिग्रहण करने के पश्चात प्राप्त होती है, इस प्रक्रिया को ही पोषण कहा जाता है।

पोषक पदार्थ Nutrients 

पोषक पदार्थ वे होते है, जो जीवो में प्रमुख रूप से विभिन्न प्रकार की जैविक क्रियाओं को संचालन, संपादन ऊर्जा प्रदान करना शरीर की मरम्मत तथा रोगों से बचाने के लिए आवश्यक होते हैं।

पोषक पदार्थ के अंतर्गत प्रमुख रूप से 6 प्रकार के पोषक पदार्थों (Nutrients) को रखा गया है, जिनमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज लवण और जल आते हैं।

पोषण के प्रकार Type of Nutrition 

भोजन की प्रकृति उस भोजन का उपयोग करने का तरीका तथा अन्य कई आधार होने के कारण प्राणियों में निम्न तीन प्रकार की पोषण विधियों पाई जाती हैं, जिन्हें हम निम्न प्रकार से समझते हैं:- 

1. पूर्णभोजी पोषण Holozoic Nutrition 

पूर्णभोजी पोषण को होलोजोईक न्यूट्रिशन के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें होलोजोइक (Holozoic) शब्द ग्रीक भाषा के Holo जिसका अर्थ होता है, पूरी तरह से और Zoic जिसका अर्थ होता है, जंतु जैसा अर्थात वह पोषण जिसमें प्राणी अपना भोजन पूरी तरह से ठोस या तरल के रूप में जंतुओं के भोजन ग्रहण करने की विधि के अनुरूप ही करते हैं,

उस पोषण को प्राणीसम या पूर्णभोजी पोषण के नाम से जाना जाता है। यह विशिष्ट लक्षण प्रमुख रूप से मनुष्य अमीबा में तथा अन्य जंतुओं में देखने को मिलता है, जो निम्न चार प्रकार का होता है।

  1. शाकाहारी:- शाकाहारी पोषण के अंतर्गत प्राणी जंतु पेड़-पौधों आदि को भोजन (Food) के रूप में ग्रहण करते हैं अर्थात यह किसी भी प्रकार के मांस आदि का भक्षण नहीं करते इसके अंतर्गत, जो जीव आते हैं उनको शाकाहारी जीव कहा जाता है, जैसे, कि गाय भैंस घोड़ा बकरी आदि।
  2. मांसाहारी :- मांसाहारी पोषण के अंतर्गत वे जंतु आते हैं जो अपना भोजन (Food) अन्य जंतुओं के शरीर उनके मांस से प्राप्त करते हैं, ऐसे जंतु दूसरे जंतुओ को मार कर अपना भोजन ग्रहण करते हैं, जिसके अंतर्गत बाघ चीता तेंदुआ आदि आते हैं।
  3. सर्वाहारी:- सर्वाहारी के अंतर्गत उन जंतुओं को रखा गया है, जो अपना भोजन पेड़-पौधों वनस्पतियों के साथ ही जंतुओं से भी प्राप्त करते हैं उन्हें हम सर्वाहारी कहते हैं। सर्वाहारी के अंतर्गत मानव और कौवा को रखा गया है।

अपमार्जक :- अपमार्जक के अंतर्गत उन जीव-जंतुओं को रखा गया है, जो मृत जंतुओं को अपने भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं। साधारण शब्दों में हम कह सकते हैं, कि मरे हुए जंतुओं को खाने वाले जीवो को अपमार्जक कहते हैं और जीव जंतुओं को खाने की इस प्रक्रिया को अपमार्जन कहते हैं. इनके अंतर्गत आने वाले जीवों में सियार लकड़बग्घा गिद्ध आदि आते हैं।

प्राणी समपोषण के महत्वपूर्ण चरण Important stages of animal nutrition

इसके अंतर्गत निम्न प्रकार के चरण आते हैं 

  1. भोजन का अंतरग्रहण :- इसका सबसे पहला चरण भोजन को एकत्रित करना और उसको अपने मुख के द्वारा आहारनाल तथा लार के द्वारा क्रमांकुंचन विधि (Permutation method) के द्वारा आमाशय में पहुँचाना होता है।
  2. पाचन :- भोजन ग्रहण करने की क्रिया के पश्चात पाचन शुरू होता है और यह पाचन हमारे मुंह में उपस्थित एंजाइम के द्वारा मुंह से ही शुरू हो जाता है तथा आमाशय में पहुंचते-पहुंचते विभिन्न प्रकार से एंजाइम तथा पाचक रसों के द्वारा इसका पाचन होता है।
  3. अवशोषण :- आहार नाल की एक विशेष प्रकार के अंग छोटी आत में पचे हुए भोजन का वहाँ पर उपस्थित रक्त कोशिकाओं (Blood Cells) के द्वारा अवशोषण होता है और शरीर के विभिन्न भागों तक इसको पहुंचा दिया जाता है।
  4. स्वांगीकरण :- कोशिकाओं के भीतर पचे हुए भोजन से नए जीव द्रव्य के संश्लेषण की प्रक्रिया या फिर भोजन के ऑक्सीकरण के फलस्वरूप ऊर्जा मुक्त करने की क्रिया को स्वांगीकरण (Assimilation) के नाम से जाना जाता है।
  5. बहिष्करण:- मल के रूप में अपचित भोजन को गुदा के द्वारा शरीर से बाहर निकालने की प्रक्रिया को मल त्याग या बहिष्करण के नाम से जाना जाता है।

2. परजीवी पोषण Parasitic Nutrition

परजीवी पोषण को अंग्रेजी में पैरासाइटिक न्यूट्रिशन (Parasitic Nutrition) के नाम से जाना जाता है जो शब्द para तथा sitos शब्द के मिलने से बना हुआ है और यह ग्रीक भाषा के शब्द हैं जिनका अर्थ होता है, पास बगल और पोषण अर्थात साधारण शब्दों में कहा जा सकता है, कि परजीवी पोषण का अर्थ है ऐसे पोषण (Nutrition) से होता है,

जिसमें एक जीव दूसरे जीव के संपर्क में लगातार बना रहता है और अपना भोजन ग्रहण करता है. ऐसे जीव अपना भोजन कार्बनिक पदार्थ के रूप में प्राप्त करते हैं और इस प्रकार का भोजन प्राप्त करने वाले जीवों को परजीवी के नाम से जाना जाता है।

यह जीव जिस शरीर से अपना भोजन प्राप्त करते हैं उसको हम पोषी कहते हैं। इस प्रकार का पोषण विभिन्न प्रकार के जंतुओं जैसे कि कवक, जीवाणु प्रोटोजोआ के साथ ही विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे जैसे अमरबेल गोल कृमि टेपवर्म अमीबा हिस्टॉलिटिका मलेरिया परजीवी आदि में देखने को मिलता है।

3. मृतोपजीवी पोषण Saprophytic nutrition

मृतोपजीवी पोषण को इंग्लिश में स्पू्रोजोइट न्यूट्रिशन (Sporozoit Nutrition) के नाम से जाना जाता है, जो ग्रीक भाषा के शब्द saparos से मिलकर बना हुआ है, जिसका अर्थ होता है अवशोषण करना इस प्रकार के पोषण में जीव जंतु मृत जंतुओं और पौधों के शरीर से अपना भोजन प्राप्त करते हैं और कार्बनिक पदार्थों के रूप में उस भोज पदार्थों को अवशोषित करते हैं तथा अपना जीवन यापन करते हैं, जो मृत जीवो से अपना भोजन प्राप्त करते हैं,

उनको मृतजीवी स्पोरोफाइट के नाम से जाना जाता है, जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के कवक (Fungus) जीवाणु (Bacteria) कुछ प्रोटोजोआ (Protozoa) आते हैं। मृतजीवी को अपघटक के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इनका कार्य जटिल कार्बनिक पदार्थो को सरल कार्बनिक पदार्थो में तोड़ना और पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण पर्यावरण हितैषी कार्य करना होता है, क्योंकि यह है। बड़े-बड़े कार्बनिक अणुओं को सूक्ष्मजीव सरल अणुओ में तोड़ देते हैं।

दोस्तों यहाँ पर आपने जंतुओं में पोषण (Nutrition in Animal) पढ़ा। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

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